कोसी टाइम्स प्रतिनिधि@चौसा, मधेपुरा
आस्था और विश्वास का महापर्व छठ आज शनिवार को नेमनिष्ठा के साथ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ संपन्न हुआ। सुबह में चौसा के सभी छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। नदियों, पोखर व अन्य जलस्रोतों में स्नान कर व्रतियों ने सूर्यदेव की उपासना की। सूरज की लालिमा दिखने के बाद अर्घ्य अर्पित करने का दौर शुरू हुआ।
असंख्य उम्मीदों के पूर्ण होने की कामना के साथ श्रद्धालुओं ने अर्घ्य अर्पित किया। इनमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे। घाटों पर व्रतियों ने उदय होते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर और छठ मइया के प्रति अपनी गहरी आस्था प्रकट की। सुबह की बेला में विभिन्न छठ घाट रोशनी से सराबोर नजर आ रहे थे।
चौसा प्रखंड के विभिन्न क्षेत्र चौसा कृषि फॉर्म,कृष्ण टोला पोखर,कोशी डैनेज,लौवालगान,घोषई, कलासन,चिरौरी,मोरसंडा,फुलौत, अरजपुर,घोषई,पैना,सहोरा टोला,अजगैवा,पावरहाउस धार चौसा, टिनमुही,भिट्ठा टोला,मनोहरपुर,नरधुटोला, चिरौरी पोखर,गांधी टोला,तपुआ टोला,परवत्ता टोला,खलीफा टोला,गरैया टोला समेत कई जगहों पर भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा किया गया।पूजा को लेकर सभी जगहों पर खासकर बच्चों में गजब का उत्साह देखने को मिला।इतना ही नहीं मन्नतें पूरी होने पर कई उपासक अपने घर से नजदीक के छठ घाट पर दंड प्रणाम करते हुए पूजा पाठ कर भगवान भाष्कर को अर्ध्य दिया।
चौसा में कई छठ घाट पर लोगों ने दर्जनों की संख्या में पिटारे को उड़ाया। पारम्परिक पीटारे को उड़ाकर लोगों ने मन्नतें मांगी गई। इस क्षेत्र में कागज से पिटारा जिसे आकाश दीप भी कहते हैं बनाकर उड़ाने की पुरानी परम्परा रही है। लेकिन आधुनिकता के दौर में अब इस कला के कम ही महारथी बच गये हैं। रंग बिरंगे कागज का छह फीट लंबे पिटारे के नीचे आग जलाया जाता है और उसका गैस जब पिटारे में भर जाता है तो वह आकाश दीप बनकर उड़ जाता है। इस पिटारे को देखने खासकर बच्चें और किशोरों में भारी भीड़ लगा दी थी। पिटारा उड़ाने के संदर्भ में पूर्व उपप्रमुख विनोद सिंह,मुखिया प्रतिनिधि अभिनंदन मंडल,संजय यादव,युवा समाजसेवी सत्यप्रकाश गुप्ता विदुरजी सहित कई लोगो ने बताया कि छठ पूजा के समय पिटारा मन्नते पूरी होने पर उड़ाया जाता है। जिससे छठी मइया भक्तों पर प्रसन्न रहती है।
उधर प्रखंड प्रशासन की ओर से जगह जगह घाट पर बेरिकेटिंग कर लोगो को ज्यादा पानी मे जाने से रोक लगा दिया था तथा आवश्यकता के अनुसार गोटाखोर को तैनात किया था।सभी छठ घाटों पर अस्थायी रूप से महिलाओं को कपड़ा बदलने के लिए बॉक्स का निर्माण कराया गया था।