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बिहार में पांच नये मेडिकल कॉलेज की बात ,सहरसा को मिल सकता है सौगात

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बिहार में पांच और नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जायेंगे.आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इस योजना पर काम तेज करने का आदेश दिया. मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव से पहले ही यह घोषणा की थी.मुख्यमंत्री की इस घोषणा से मधेपुरा के बाद सहरसा में भी एक सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना होने संभावना बढ़ गयी है.वैसे कोसी टाइम्स ने 14 जनवरी 2015 को ही इस आशय की खबर को प्रकाशित किया था.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहले से स्वीकृत एवं कार्यरत मेडिकल कॉलेजों के अलावा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के मानक के अनुरूप पांच नये मेडिकल कॉलेज खुलेंगे. इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज भी खोले जाएंगे. राज्य के सभी अनुमंडलों में एएनएम स्कूल की स्थापना होगी. राज्य के सभी जिलों में जीएनएम स्कूल और पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट की स्थापना होगी.

14 जनवरी 2015 को कोसी टाइम्स में प्रकाशित खबर को यहां पढ़े : सहरसा को भी मिलेगा मेडिकल काॅलेज का सौगात
खास खबर, शिक्षा, सहरसा January 13, 2015 , by KT NewsDesk
अगर सब कुछ सही रहा तो कोसी क्षेत्र के लिए नव वर्ष में एक और खुशखबरी बहुत जल्द आ सकती है। जी हाॅं, मधेपुरा और पूर्णिया के बाद अब सहरसा में भी सरकारी मेडिकल काॅलेज खोलने की कवायद बिहार सरकार द्वारा की जा रही है। बताते चले कि लाख कोशिशों के बावजूद कोसी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल अभी भी बदहाल है। बीमार स्वास्थ्य सेवाओं के इलाज हेतु सरकार द्वारा हर प्रमंडल में कम से कम एक सरकारी मेडिकल काॅलेज खोलने का प्रयास हो रहा है। अगर सहरसा में भी मेडिकल काॅलेज खुलता है तो कोसी प्रमंडल में दो सरकारी और एक प्राइवेट मेडिकल काॅलेज हो जायेगा। सनद रहे कि बैजनाथपुर (सहरसा-मधेपुरा बाॅडर) पर अवस्थित लाॅर्ड बुद्धा कोसी मेडिकल काॅलेज निजी रूप से संचालित किया जा रहा है। इस प्राइवेट काॅलेज के खुलने से आसपास के क्षेत्र की बीमार स्वास्थ्य सेवाओं के सेहत में थोड़ी बहुत सुधार की उम्मीद की जा रही है।

आपको बताते चले कि, निजी मेडिकल काॅलेजों की फीस सरकारी की अपेक्षा काफी ज्यादा होती है, जिस कारण से गरीब प्रतिभावान छात्र इन काॅलेजो में दाखिला नहीं ल पाते हैं, प्राइवेट मेडिकल- डेंटल काॅलेज की आसमान छूती फीस के कारण इन काॅलेजों में अमीरों के कम प्रतिभावन पुत्र-पुत्रियों को ही दाखिला मिल पाता है। सहरसा में भी सरकारी मेडिकल काॅलेज खुलने से एक फायदा यह होगा कि प्रतिभावन छात्र-छात्राएं कम्पीटीशन के माध्यम से इसमें दाखिला लेंगे और इससे आसपास के क्षेत्र की चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की गुंजाईश बलवती होगी।

कोसी की चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं का संजीवनी प्रदान करने की खातिर मधेपुरा के सवैला में वर्ष 2014 से राजकीय मेडिकल काॅलेज के निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। उम्मीद है कि इस वर्ष से मधेपुरा के सरकारी मेडिकल काॅलेज में छात्रों का दाखिला भी शुरू हो सकता है, हालांकि यह उम्मीद पिछले दो साल से हो रही है। बता दें कि, सीबीएसई द्वारा आयोजित होनेवाली एआईपीएमटी (आॅल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट) की परीक्षा के विवरणिका (prospectus) में बिहार के मधेपुरा में बन रहे मेडिकल काॅलेज के सीटों पर नामांकन के बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी है। लेकिन मधेपुरा मेडिकल काॅलेज के युद्ध स्तर पर जारी भवन निर्माण के कार्य को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा सकती कि बहुत जल्द ही बाहर के प्रोफेसरों और छात्रों से मंडल की धरती गुलजार होगी। इसी मेडिकल काॅलेज के निर्माण के कारण से आसपास के इलाकों में कौडि़यों के भाव बिकनेवाले जमीन का मिलना अब मुश्किल हो गया है।

मधेपुरा के साथ-साथ पूर्णिया में भी सरकारी मेडिकल काॅलेज की स्थापना की कवायद राज्य सारकार द्वारा की जा रही है। हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में पूर्णिया की स्थिति पहले से ही बेहतर है। अच्छे डाॅक्टरों और गैराजों की मौजूदगी के कारण ही पूर्णिया को ‘रिंच और सिरिंज’ का शहर भी कहा जाता है। अभाी पूर्णिया में मेडिकल काॅलेज खोेलने की खातिर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। इससे स्पष्ट है कि पूर्णिया मेडिकल काॅलेज थोड़ा बिलंव से शुरू होगा।

खैर, सरकारी मेडिकल काॅलेज की स्थापना से उम्मीद की जानी चाहिए कि कोसी की टिमटिमाती स्वास्थ्य सेवाओं की लौ पहले की बजाय अब तेज होगी।

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