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बिहार के सभी जिले में खुलेगा आई टी आई कॉलेज

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कोसी टाइम्स l न्यूज़ डेस्क

राज्य सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगार और उनमें तकनीकी कौशल का विकास करने के लिये एक नई पहल करने जा रही है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार ने सूबे के प्रत्येक अनुमंडल में आईटीआई खोलने का निर्णय लिया है। इसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत जमीन की अनुपलब्धता का भी समाधान निकाल लिया गया है।

श्रम संसाधन विभाग के जिम्मे है योजना

इसी के तहत जिला मुख्यालयों पर महिला आईटीआई खोलने के लक्ष्य को भी पूरा करने की योजना पर काम चल रहा है। सूबे में आईटीआई निर्माण के लक्ष्य को पूरा करने की योजना श्रम संसाधन विभाग तैयार कर रहा है। हर अनुमंडल में इसके लिए जमीन तलाश करने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी पर होगा। इसके तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि अनुमंडल मुख्यालय के समीप अगर जमीन उपलब्ध नहीं होता हैं तो अनुमंडल क्षेत्र में जहां भी जमीन आसानी से उपलब्ध होगी, वहीं आईटीआई खोलने की योजना तैयार की जाएगी।

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गौरतलब है कि राज्य में कुल 71 सरकारी आईटीआई हैं। 16 महिला आईटीआई कॉलेज हैं। सभी अनुमंडल में आईटीआई बनाने के लिए अभी 46 नए आईटीआई खोले जाने हैं। सभी जिला मुख्यालयों पर महिला आईटीआई के लिए 22 नए आईटीआई खोले जाने हैं। नए आईटीआई के लिए जमीन की तलाश के लिए सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

दो साल में 50 लाख से ज्यादा युवाओं के रोजगार का लक्ष्य
राज्य सरकार के प्लान के मुताबिक 2012-17 के बीच एक करोड़ युवाओं को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक करीब 35 से 40 लाख युवाओं को ही रोजगार दिया जा सका है। बाकी बचे 50 लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए स्किल डेवलेपमेंट पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

आईटीआई कॉलेजों की हकीकत
एक तरफ जहां राज्य सरकार नए आईटीआई कॉलेज खोलने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ हकीकत यह है कि राज्य में पहले से मौजूद आईटीआई संस्थानों का खस्ताहाल है। हकीकत यह है कि इन संस्थानों में हर वर्ष सीटें खाली रह जा रहीं हैं। चालू वर्ष यानी 2015-16 सत्र में भी 1500 से ज्यादा सीटें खाली रही है। पूर्व में भी काउंसिलिंग में देरी होने की वजह से सीटें खाली रहीं हैं। इसके लिए संस्थानों में आधारभूत संरचनाओं की घोर कमी को जिम्मेदार माना जाता है।

बहरहाल, वाकई में अगर सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगार व तकनीकी कौशल से लैश करना चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि नए संस्थानों के साथ-साथ पुराने संस्थानों की भी कमियों को दूर करें। मसलन, लैब का आधुनिकीकरण के साथ-साथ शिक्षकों की कमी भी दूर की जाए।

(रामकुमार भारती की रिपोर्ट)

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