अन्ना यादव
स्पेशल डेस्क @ कोसी टाइम्स.
कोटा में उसके साथ पढ़नेवाले अक्सर उसे कोचिंग की सीढ़ियों पर गणित की गुत्थियों से दो-चार करते देखते थे.लेकिन हर किसी को उसकी मुस्कुराहटों के पीछे छिपी परेशानियों का पता नहीं था.कोसी के कछार से परिस्थितियों को पछाड़कर निकले 21 वर्षीय वात्सल्य सिंह चौहान के हाथ में आज अमेरिकी कंपनी के करोड़ रूपये का पैकेज है.वात्सल्य की नौकरी जब सालाना 1.02 करोड़ रुपए पर अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में लगी तो खुद उनके परिवार वालों को ही पहले-पहल यकीन नहीं हुआ.वात्सल्य ने इसी वर्ष आईआईटी खड़गपुर से बीटेक पूरी की है.वह 2012 में आईआईटी के लिए अच्छी रैंक(382) के साथ सलेक्ट हुए थे.
वात्सल्य के पिता कोसी ईलाके के खगड़िया जिले में वेल्डिंग का काम करते हैं.वे खगड़िया के संहौली गांव के निवासी हैं. उन्होंने अपने बेटे को आईआईटी खड़गपुर भेजने के लिए उन्होंने लोन लिया था. वात्सल्य अपने पिता चंद्रकांत सिंह के बारे में बात करते हुए कहते हैं पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि मुझे 1.02 करोड़ के पैकेज पर माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी मिली है. फिर जब उन्हें पता चला कि खबर पक्की है तो कुछ देर के लिए तो वे कुछ बोल ही नहीं पाए.वात्सल्य के पिताजी कहते हैं कि उनके पास आईआईटी मे एडमिशन के लिए पैसे नही थे तो उन्होने बैंक से 3.5 लाख का लोन वत्सल्या के दाखिले के लिए लिया.आज यह बताते हुए उनकी आँखों खुशी से भर आते हैं.वात्सल्य इस साल जून मे अपना कोर्स पूरा करने के बाद कंपनी ज्वाइन करेंगे.
आर्थिक तंगी आड़े नहीं आई : अपनी पढ़ाई की बात करते हुए वात्सल्य कहते हैं कि उनकी ज्यादातर शिक्षा स्कॉलरशिप के ज़रिए ही हुई है लेकिन उनके पिता ने कभी पढ़ाई के बीच उनकी आर्थिक तंगी को नहीं आने दिया.माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी पाने के लिए पांच राउंड हुए थे जो उन्हें ‘मुश्किल’ नहीं लगे लेकिन उन्हें ज्यादा उम्मीदें भी नहीं थी. कोड राइटिंग टेस्ट, लिखित परीक्षा और फिर इंटरव्यू के तीन राउंड पूरा करने वाले वातसल्य ने कहा कंपनी उनके इंटरव्यू से काफी प्रभावित थी.
आईआईटी खड़गपुर में अपने सहपाठियों के साथ वात्सल्य
वात्सल्य ने बताया कि उन्होंने दसवीं की पढ़ाई खगड़िया से ही पूरी की थी और उन्हें पता भी नहीं था कि यह आईआईटी आखिर कहां हैं.फिर बाद में उन्होंने कोटा, राजस्थान में कोचिंग क्लास लेनी शुरू की थी. वात्सल्य के पिता की मानें तो वहां के शिक्षकों ने आश्वासन दिया था कि उनके बेटे के खर्चे का वह ख्याल रखेंगे. उन्होंने बताया ‘तीन शिक्षकों ने इसके टैलेंट को समझा और इसका सारा खर्चा उठाया.वे भावुक होकर कहते हैं कि मुझे सिर्फ ट्रेन की टिकट का खर्चा उठाना पड़ता था.वह आगे कहते हैं कि कोटा में जब मैं बेटे से मिलने जाता था तो हमें ऐसा खाना मिलता था जो हम घर में खाने के बारे में नहीं सोच सकते थे।’
(स्कूली समय में पिता चंद्रकांत सिंह व भाईयों के साथ वात्सल्य)
वात्सल्य पांच भाई-बहन हैं. अब उनकी एक बहन कोटा में मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रही है.कोटा में अपने शिक्षकों के बारे में बताते हुए वात्सल्य कहते हैं कि एलेन कोचिंग के सुरेन्द्र कुमार मिश्रा(SKM)सर ,विशाल जोशी(VJ)सर ,अखिलेश कांतेड़(AKK)सर ,अमरनाथ आनंद(ANNA)सर ,अनुराग मिश्रा(AM)सर, अमित गुप्ता(AG)सर का मेरी कामयाबी में सराहनीय योगदान है.वे कहते हैं कि विशाल जोशी सर ने उन्हें दोबारा कोटा आने के लिए प्रोत्साहित किया.आगे वात्सल्य कहते हैं कि एलेन परिवार(कोचिंग) ने भी बुरे वक्त में उनकी मदद की है,जिसे वह ताउम्र याद रखेंगे.एलेन के डायरेक्टर राजेश माहेश्वरी व ब्रजेश माहेश्वरी का विशेष आभार व्यक्त करते हुए वह कहते हैं कि माहेश्वरी सर ने हमेशा एक अभिभावक की तरह ख्याल रखा तो एलेन के कैरियर काउंसलर अमित आहूजा ने बड़े भाई की तरह गाईड किया.साथ ही साथ वात्सल्य आईआईटी खड़गपुर का भी शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि कॉलेज ने बढ़िया प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया,यहां मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है.कई शानदार अनुभव मिले हैं,जो भविष्य में काम आयेंगे.
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